स्वर्ग का राज्य अनन्त सुख और आनंद का स्थान है, जहां कोई मृत्यु, पीड़ा या दुख नहीं है।
इसलिए परमेश्वर ने हमें एक लक्ष्यहीन जीवन जीने के लिए नहीं कहा जैसे कि हम एक हजार वर्ष तक जीवित रहेंगे
जबकि हम सौ वर्ष तक भी नहीं जी सकते, लेकिन स्वर्ग के राज्य के लिए जीवन जीने के लिए कहा है।
जिस तरह यीशु ने 2,000 साल पहले नई वाचा के फसह के माध्यम से मानव जाति को जीवन दिया था,
उसी तरह मसीह आन सांग होंग और माता परमेश्वर ने हमें सिखाया है कि हमें अनन्त जीवन जीने के लिए फसह मनाना चाहिए,
न कि ऐसा जीवन जो मैदान के फूलों की तरह मुरझा जाता है।
क्योंकि हमारे सब दिन तेरे क्रोध में बीत जाते हैं, हम अपने वर्ष शब्द के समान बिताते हैं।
हमारी आयु के वर्ष सत्तर तो होते हैं, और चाहे बल के कारण अस्सी वर्ष भी हो जाएँ,
तौभी उनका घमण्ड केवल कष्ट और शोक ही शोक है; वह जल्दी कट जाती है, और हम जाते रहते हैं।
भजन संहिता 90:9-10
क्योंकि “हर एक प्राणी घास के समान है, और उसकी सारी शोभा घास के फूल के समान है।
घास सूख जाती है, और फूल झड़ जाता है, परन्तु प्रभु का वचन युगानुयुग स्थिर रहता है।” ...
1पतरस 1:24-25
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